भारत की राष्ट्रीय तेल कम्पनियों को पूर्वी साइबेरिया में स्थित रोजनेफ्ट के तॉस-यूरियाख ऑयल फील्ड में 29.9% अधिग्रहण करने का परामर्श देने वाली वकीलों की टीम में लॉथम एंड वॉटकिन्स के पार्टनर राजीव गुप्ता की भी अहम भूमिका रही है ।
बॉर एंड बैंच के साथ किए गए इस साक्षात्कार में श्री गुप्ता ने भारतीय बाजार के भविष्य, प्रायोजित ए.डी.आर. (विवाद निपटान विकल्प) कार्यक्रमों तथा भारतीय विधिक बाजार के उदारीकरण के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किए हैं ।
अनुज अग्रवाल : वर्ष 2008 में आपने रियल एस्टेट सैक्टर में की जा रही अविरल प्रक्रियाओं का उदाहरण देते हुए भारतीय पूंजी बाजार के विशेष गुणों के बारे में लिखा था । क्या आपको ऐसा लगता है कि उसके पश्चात से स्वत्वाधिकार की समस्या में कुछ कम आई है ?
राजीव गुप्ता : बीमा उपलब्ध न होने के कारण स्वत्वाधिकार का मामला एकदम खराब स्थिति में पहुंच चुका है, रियल एस्टेट स्वत्वाधिकार का मुद्दा भारत में तो बना ही रहेगा । रियल एस्टेट के लिए किए जाने वाले लेन देन के लिए अभी भी रियल एस्टेट काउंसिलों को बहुत सी ब्यौरेवार प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती हैं । बहरहाल हाल ही में भारत में रियल एस्टेट कम्पनियों द्वारा कुछ आई.पी.ओ. और पेशकश दी गई हैं, रियल एस्टेट निवेश स्वत्वाधिकार (REIT) द्वारा की गई पेशकश को भी ऐसी ही कुछ समस्याओं से जूझना पड़ सकता है ।
दिसम्बर, 2015 से प्रभावी भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड के सूचीबद्ध दायित्व एवं प्रकटन व अपेक्षाएं विनियम, 2015 विशेषकर रियल एस्टेट एवं अभियोजन प्रकटीकरण के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय एवं भारतीय निवेशकों के लिए सकारात्मक विकास के तौर पर किए गए सार्थक उपाय हैं क्योंकि इस विनियम से इन क्षेत्रों में प्रकटीकरण के लिए नए द्वारा खुल गए हैं ।
ए.ए. : क्या आपको यह प्रतीत होता है कि भारतीय कम्पनियां पूंजी संवर्धन के लिए ए.डी.आर. (विवाद निपटान विकल्प) विधि से प्रायोजित मार्ग के लेवल वन का प्रयोग कर रही हैं ?
आर.जी. : तथापि, भारतीय-सूचीबद्ध शेयरों के लिए ओ.टी.सी. डिपोजिटरी रसीद की अनुमति जब से वित्त मंत्रालय तथा भारतीय रिजर्व बैंक ने एम.एस. साहू की सिफारिशों को लागू किया है तब से विभिन्न डिपोजटरियों ने बहुत भारी संख्या में गैर प्रायोजित ए.डी.आर. कार्यक्रम फाइल किए हैं परन्तु अभी तक उनमें से किसी को भी इस के तह्त अभी तक कोई ए.डी.आर. जारी नहीं किया गया है ।
मैं समझता हूं कि इस संबंध में कुछ क्रियाशील मामलों के लिए स्पष्टीकरण अभी तक आना शेष हैं । यदि यह गैर प्रायोजित ए.डी.आर. कार्यक्रम प्रचालन में आ गए तो मुझे आशा है कि कई कम्पनियां इन कार्यक्रमों को प्रायोजित करके इन्हें स्तर -1 के प्रायोजित ए.डी.आर. कार्यक्रमों में बदल देंगी ।
स्तर -1 के प्रायोजित ए.डी.आर. कार्यक्रम गैर-पूंजी बढाने के लिए होते हैं तथा सामान्यत: इनका प्रयोग अमेरिकी ओ.टी.सी. बाजार में शेयरों के लिए चल निधि उपलब्ध करवाने के लिए किया जाता है । स्तर – 1 के प्रायोजित ए.डी.आर. कार्यक्रमों से कम्पनी को अपने कार्यक्रमों पर बेहतर नियंत्रण एवं निवेशकों के साथ बेहतर लक्ष्यता के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं ।
ए.ए .: क्या आपको वर्ष 2016 में भारत के प्रति आकर्षण दिखाई दे रहा है ? किन्हीं विशेष सेक्टरों में ?
आर.जी. : विश्व भर के निवेशकों के लिए भारत सदैव ही आकर्षक बाजार रहेगा और ऐसा पिछले महीनों में की गई सुदृढ़ एम एंड ए तथा पी.ई. की गतिविधियों से भी स्पष्ट प्रतीत हुआ है । यदि वैश्विक पूंजी बाजार में वर्ष 2016 की पहली तिमाही में गिरावट आई तो इसका प्रभाव अन्य अनेक क्षेत्रों में दिखाई दे रही गिरावट की तुलना में भारत पर इसका प्रभाव कम होगा ।
हमें भारत के प्रति महत्वपूर्ण अभिरूचि बने रहने की उम्मीद है और यह अनुमान है कि भारतीय पूंजी बाजार में चहल पहल आगे भी ऐसे ही बनी रहेगी । वर्ष 2015 में कुछ अच्छे आई.पी.ओ. आए थे जिनसे विश्व भर में अभिरूचि में वृद्धि हुई है । उदाहरण के तौर पर, हमने इंडिगो एयरलाइंस के आई.पी.ओ. की सलाह दी थी और वैश्विक निवेशकों ने इसे तुरंत लपक लिया था ।
भारत के प्रति बना आकर्षण से अनेकों उद्योग के लिए बन गया है जिनमें विशेषकर प्रौद्योगिकी एवं ई-कामर्स, परिवहन एवं लॉजिस्टीक्स तथा औषध जैसे अत्याधिक प्रचलित सैक्टर शामिल हैं । बीमा सैक्टर के नए उत्पाद इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्टों (InvITs) के प्रति भी आकर्षण काफी बढ़ा है ।
ए.ए.: आपने NASDAQ में मेक माई ट्रिप (MakeMyTrip) की लिस्टिंग पर काम किया है । क्या आपको यह लगता है कि भारत की नई कम्पनियां विदशों में लिस्टिंग से उम्मीद रखेगीं ?
आर.जी.: जी, हां । हमने मेक माई ट्रिप को वर्ष 2010 में Nasdaq में की गई सफल लिस्टिंग के लिए भी यही परामर्श दिया था । तथापि, किसी भारतीय कम्पनी की विदेश में लिस्टिंग न कर पाने की असमर्थता अब तक एक रूकावट ही बनी हुई है । अब भारत में लिस्टिंग होने की आवश्यकता बिना भी विदेश में डायरेक्ट लिस्टिंग की अनुमति उपलब्ध है और इसलिए भारत में लिस्टिंग के स्थान पर बाहर के देशों में लिस्टिंग की सुविधा एक सरल विकल्प बन गई है ।
विशेषकर प्रौद्योगिकी तथा ई-कामर्स जैसे सैक्टरों के लिए यह एक आकर्षक विकल्प है । इस सैक्टर की अनेकों कम्पनियां अगले कुछ वर्षों में अपना आई.पी.ओ. जारी करने वाली हैं और मुझे लगता है कि वे अमेरिका में लिस्टिंग के लिए भी गंभीरता से विचार करेगीं ।
ए.ए. : वर्ष 2010 में आपसे किए गए साक्षात्कार में आपने देश में ज्यादातर इन-हाउस काउंसिल के रूप में वापस लौटने वाले भारतीय वकीलों का जिक्र किया था । क्या यह अभी भी सही है ?
आर.जी. : मुझे विदेशों से भारत वापस लौटने वाले वकीलों का रूझान बरकरार रहने की आशा है । भारतीय विधिक बाजार अधिमूल्यन के बिना विदेश में अनुभव प्राप्त भारतीय वकीलों का महत्व समझता है तथा प्राइवेट प्रैक्टिस और इन-हाउस प्रैक्टिस दोनों के लिए भारत में लाभप्रद एवं चुनौतिपूर्ण जीविका के व्यावसायिक अवसरों में दिनोंदिन बढोतरी हो रही है ।
ए.ए. : क्या लॉथम भारतीय विधि विद्यालयों के विद्यार्थियों को रोजगार प्रदान कर रहा है ?
आर.जी. : लॉथल भारत सहित विश्व भर के बेहतरीन एसोसिएट्स को रोजगार प्रदान करता है । दूसरी अंतर्राष्ट्रीय विधि फर्मों की तरह ही अनेक भारतीय विधि विद्यालय के वे स्नातक विद्यार्थी, जिन्होंने हमारी फर्म में सेवाएं प्रारम्भ की थी, अब मेरी तरह ही भारत से स्नातक होने के पश्चात विदेश में एल.एल.एम. की पढ़ाई कर रहे हैं जबकि ऐसा करने की किसी भी प्रकार से कोई जरूरत नहीं है ।
ए.ए. : पुश्तैनी विधि फर्मों के बारे में आपके क्या विचार हैं ?
आर.जी. : किसी भी फर्म की सफलता की कुंजी उस फर्म का व्यावसायिक प्रबंधन होता है और ऐसी कुंजियों वाली कम्पनियां ही बाजार के साथ कदम से कदम मिलाकर सफल हो पाती हैं । ऐसी कम्पनियों का पुश्तैनी होने अथवा न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
ए.ए. : विदेशी विधि फर्मों का प्रवेश – इस संबंध में कोई अनुमान कि यह कब तक हो पाएगा ?
आर.जी. : यह आकर्षण का एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है । पिछले वर्षों में मैंने यह सुना था कि विदेशी फर्मों का प्रवेश अब मात्र “दो वर्षों की” अवधि में हो जाने की संभावना है ! जबकि भारतीय विधि समुदाय में इस विषय पर चल रही चर्चा से मैं यह महसूस करता हूं कि इस अवधि के संबंध में किसी प्रकार की कोई स्पष्ट झलक दिखाई नहीं दे रही है ।
ए.ए. : क्या आप हमें लॉथम इंडिया की योजनाओं के बारे में थोड़ी जानकारी दे सकते हैं ? दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों के बारे में बताएंगे ।
आर.जी. : भारत में हम गुणवत्तापूर्ण अंतर्राष्ट्रीय विधि परामर्श के क्षेत्र में बाजार की अपनी अग्रणी स्थिति को बनाए रखने के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं । अल्प काल के लिए हमने प्राइवेट इक्विटी तथा नवीनीकरण जैसे क्षेत्रों के लिए लॉथम के विशेषज्ञता पूर्ण अनुभव का प्रयोग एक शक्ति के रूप में करने की उम्मीद बनाए हुए हैं ।
दीर्घ काल में अपने भारतीय ग्राहकों के कारण बढ़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय तथा इसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों का भारत के प्रति बढ़ते आकर्षण के परिणामस्वरूप हमें आशा है कि हमारे वकीलों को और अधिक चुनौतिपूर्ण अवसर तथा लाभप्रद काम मिल सकते हैं ।
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